Category: हरियाणवी रागनी

मास्टर सतबीरः हरियाणवी संस्कृति का अनमोल रत्न

स्मृति शेष मास्टर सतबीर द्वारा गाए सांग व किस्से भगत सिंह,  सुभाष चन्द्र बोस, उधम सिंह, अंजना पवन, नल दमयन्ती, वीजा सोरठ, चापसिंह, जयमल फत्ता, पिंगला भरथरी, जानी चोर, शाही लकड़हारा, रूप बसन्त, सरवर नीर, कृष्ण सुदामा, कृष्ण जन्म, उतानपाद, भगत पूरणमल, हूर मेनका, चन्द्रहास, मोरध्वज, हीर रांझा, गोपीचन्द, चीर पर्व, विराट पर्व, सत्यवान सावित्री, लीलो चमन, पदमावत, चन्दकिरण, हीरामल […]

ऊधम सिंह तेरे नाम का – मनोज पवार ‘मौजी’

रागनी भारत तै चल लंदन पोहंच्या, दिल भर रया इंतकाम का दुनिया के म्हं रुक्का पाट्या, ऊधम सिंह तेरे नाम का जलियांवाळे बाग की घटना, पूरी दिल पै ला ली रै खून का बदला खून तै लेऊं, या ए कसम उठा ली रै उस डायर नै छोडूं ना, […]

जलियांवाळे बाग का मंजर – मनोज पवार ‘मौजी’

 रागनी मेरी भोळी सूरत कांब गई, मैं छोड़ रै आपणी धीर गया जलियांवाळे बाग का मंजर, मेरा काळजा चीर गया दन-दनादन गोळी चाली, दुश्मन के औजारां तै नर अर नारी भून दिए सब, गोळी की बौछारां  तै मौत का नंगा नाच करिणयो, कित रै थारा जमीर गया कोए […]

ऊधम सिंह नै सोच समझ कै – रणबीर सिंह दहिया

रागनी ऊधम सिंह नै सोच समझ कै करी लन्दन की जाने की तैयारी।। राम मुहम्मद नाम धरया और पास पोर्ट लिया सरकारी।। किस तरियां जालिम डायर थ्यावै चिन्ता थी दिन रात यही बिना बदला लिये ना उल्टा आऊं हरदम सोची बात यही उनै मौके की थी बाट सही […]

धांय धांय धांय होई उड़ै(शहीद उधम सिंह) – रणबीर सिंह दहिया

रागनी धांय धांय धांय होई उड़ै दनादन गोली चाली थी। कांपग्या क्रैक्सटन हाल सब दरवाजे खिड़की हाली थी।। पहली दो गोली दागी उस डायर की छाती के म्हां मंच तै नीचैं पड़ग्या ज्यान ना रही खुरापाती के म्हां काढ़ी गोली हिम्माती के म्हां खतरे की बाजी टाली थी।। […]

आरक्षण का मुद्दा – रामधारी खटकड़

रागनी आरक्षण का मुद्दा देखा किसा माहौल बणा ग्या रै हरे-भरे हरियाणे ने किस तरियां झुळसा ग्या रै – (टेक) राजनीति का स्वार्थ मन म्हं, नेता फायदा ठा रे थे जात-पात का नारा ला के आपस म्हं भिड्वा रे थे टीवी ऊपर बयान दे-दे, आग दिलां म्हं ला […]

हमेशा चिंता में गात रहा न्यूए दसौटा काट्या – खान मनजीत भावडिय़ा

रागनी हमेशा चिंता में गात रहा न्यूए दसौटा काट्या, कद आया बचपन कद आई जवानी कोन्या बेरा पाट्या (टेक)   घास ल्याणा सान्नी-सपान्नी सदा काम में हाथ बटाणा, गधे चराके, घोड़ी चराके, फेर खेलन न जाणा, बैठ खाट पै दादा गेल्या, अपणा फर्ज पुगाणा, रोटी का ब्यौंत करण […]

धरती बिन कोये धरती कारण धरै गये धार पै – राजेश दलाल

रागनी धरती बिन कोये धरती कारण धरै गये धार पै भूखमरी की भेंट चढे कोये धन की मारो-मार पै भूमि बिना बेचारा होज्या ना हो ठेल-ठिकाणा-ठोस दो गठड़ी पै हांड होज्या पांच-सात-दस-बारहा कोस पाड्या पड़ाया न्यार फैंक दे दाती-पल्ली लेवैं खोस क्यूकर डाटै झाल बदन की उठ जोर […]

मंगतराम शास्त्री

मंगतराम शास्त्री जिला जीन्द के टाडरथ गांव में सन् 1963 में जन्म। शास्त्री, हिन्दी तथा संस्कृत में स्नातकोतर। साक्षरता अभियान में सक्रिय हिस्सेदारी तथा समाज-सुधार के कार्यों में रुचि। अध्यापक समाज पत्रिका का संपादन। कहानी, व्यंग्य, गीत विधा में निरन्तर लेखन तथा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन। बोली अपणी बात […]

रामेश्वर दास गुप्ता

करनाल जिले केसिधपुर गांव में साधारण दुकानदार के घर 9 मई 1951 को जन्म। थानेसर से जे.बी.टी. की। हरियाणा शिक्षा विभाग में शिक्षक रहे। साक्षारता अभियान में सक्रिय भागीदारी। सेवानिवृति के बाद साहित्यिक कार्य में व्यस्त। च्यौंद कसूती (रागनी संग्रह), डंगवारा (रागनी संग्रह), दंगे पागल होते हैं (कविता संग्रह), त्रिवेणी(दोहे, कुण्डलियां, हरियाणवी गजल) रचनाएं प्रकाशित।

रामधारी खटकड़

जिला जीन्द के खटकड़ गांव में 10 अप्रैल, 1958 में जन्म। प्रभाकर की शिक्षा प्राप्त की। कहानी, गीत, कविता, कुण्डलियां तथा दोहे लेखन। समसामयिक ज्वलंत विषयों पर दो सौ से अधिक रागनियों की रचना। रागनी-संग्रह शीघ्र प्रकाश्य। वर्तमान में महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक में कार्यरत।

पं. मांगे राम की धमाकेदार रागनी

पं. मांगे राम की धमाकेदार रागनी
सारी उम्र गयी टोट्टे म्हं ना खाया टूट गुजारे तै
कोणसा खोट बण्या साजन गई रूस लक्ष्मी म्हारे तै
देखिये-सुनिए-पढ़िए
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हरियाणा की मशहूर रागनियां

रागनियां रागनियां        प्रिय, पाठको, हम आपके लिये लेकर आ रहे हैं, डा. सुभाष चंद्र द्वारा संपादित पुस्तक – हरियाणवी लोकधारा प्रतिनिधि रागनियां – चुन कर कुछ मशहूर रागनियां। इन रागनियों में हरियाणा जन मानस की पीड़ा की अभिव्यक्ति हुई है। रागनी सुनने और पढ़ने के लिये यहां […]